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TMBU History of Economic Thought CC-4 Notes PDF Download

मर्केंटिलिज़्म (Mercantilism) के मुख्य सिद्धांत और नीतियाँ:

  1. कीमती धातुओं (Precious Metals) की भूमिका:
    • मर्केंटिलिज़्म के अनुसार, किसी राष्ट्र की समृद्धि उसकी स्वर्ण और चांदी की मात्रा पर निर्भर करती है।
    • अधिक से अधिक कीमती धातुओं को इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा जाता था।
  2. राज्य की भूमिका (Role of State):
    • सरकार का मुख्य उद्देश्य व्यापार को नियंत्रित करना और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था।
    • घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और विदेशी प्रतिस्पर्धा को सीमित करने के लिए सरकारी नीतियाँ बनाई जाती थीं।
  3. व्यापार संतुलन (Balance of Trade):
    • मर्केंटिलिज़्म के अनुसार, देश को निर्यात (Export) बढ़ाना चाहिए और आयात (Import) को कम करना चाहिए।
    • सकारात्मक व्यापार संतुलन (Positive Balance of Trade) से राष्ट्रीय संपत्ति बढ़ती है।
  4. निर्यात की भूमिका (Role of Export):
    • अधिक से अधिक वस्तुओं का निर्यात कर विदेशी मुद्रा और संपत्ति अर्जित की जाती थी।
    • सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए करों में छूट और अन्य प्रोत्साहन देती थी।

यह आर्थिक सिद्धांत मुख्य रूप से 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच यूरोप में लोकप्रिय था और उपनिवेशवाद (Colonialism) को बढ़ावा देने में सहायक रहा।

मर्केंटिलिज़्म (Mercantilism) के आर्थिक विचारों का माइंड मैप

1. मर्केंटिलिज़्म की परिभाषा

2. प्रमुख सिद्धांत

3. आर्थिक रणनीतियाँ

4. प्रमुख विचारक

5. मर्केंटिलिज़्म के प्रभाव

6. मर्केंटिलिज़्म की आलोचना

7. मर्केंटिलिज़्म के बाद

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फिजियोक्रेसी (Physiocracy) के मुख्य सिद्धांत और नीतियाँ:

  1. प्राकृतिक व्यवस्था (Natural Order):
    • फिजियोक्रेट्स का मानना था कि अर्थव्यवस्था प्राकृतिक नियमों के अनुसार चलती है, और सरकार को इसमें कम हस्तक्षेप करना चाहिए।
    • निजी संपत्ति और मुक्त बाजार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  2. नेट उत्पाद (Product Net):
    • कृषि (Agriculture) को अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्रोत माना जाता था क्योंकि केवल कृषि ही अधिशेष उत्पादन (Surplus Production) उत्पन्न कर सकती थी।
    • औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को कम मूल्यवान समझा जाता था।
  3. धन का प्रवाह (Circulation of Wealth):
    • धन और आय का प्रवाह विभिन्न आर्थिक वर्गों (किसान, जमींदार, व्यापारी) के बीच होता है।
    • इस प्रक्रिया को “इकोनॉमिक टेबल” (Tableau Économique) के माध्यम से समझाया गया था।

फिजियोक्रेसी 18वीं शताब्दी में यूरोप में विकसित हुई और इसने मुक्त व्यापार (Free Trade) और सीमित सरकारी नियंत्रण (Limited Government Intervention) के विचारों को बढ़ावा दिया।

फ़िज़ियोक्रेसी (Physiocracy) के आर्थिक विचारों का माइंड मैप

1. परिचय (परिभाषा)

2. प्रमुख सिद्धांत

3. आर्थिक रणनीतियाँ

4. प्रमुख विचारक

5. फ़िज़ियोक्रेसी के प्रभाव

6. फ़िज़ियोक्रेसी की आलोचना

7. फ़िज़ियोक्रेसी के बाद

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शास्त्रीय आर्थिक विचारक (Classical Economic Thinkers) और वैज्ञानिक समाजवाद (Scientific Socialism)

1. शास्त्रीय आर्थिक विचारक (Classical Economic Thinkers):

थॉमस मॉल्थस के आर्थिक विचारों का माइंड मैप

1. परिचय (परिभाषा)

2. प्रमुख सिद्धांत

3. जनसंख्या नियंत्रण के उपाय

4. मॉल्थस के अन्य आर्थिक विचार

5. प्रभाव और आलोचना

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2. वैज्ञानिक समाजवाद (Scientific Socialism):

जे. एस. मिल (J. S. Mill) के आर्थिक विचारों का माइंड मैप

1. परिचय (परिभाषा)


2. प्रमुख आर्थिक सिद्धांत

🔹 स्वतंत्र बाजार और सरकारी हस्तक्षेप

🔹 उत्पादन और वितरण का भेद

🔹 कर प्रणाली और संपत्ति का पुनर्वितरण

🔹 श्रम सिद्धांत और सहकारिता (Cooperatives)

🔹 अर्थशास्त्र और सामाजिक न्याय

🔹 स्टेशनरी स्टेट (Stationary State) का सिद्धांत


3. प्रभाव और आलोचना

प्रभाव:

आलोचना:


निष्कर्ष:

जे. एस. मिल ने क्लासिकल और सामाजिक अर्थशास्त्र को जोड़कर एक नई विचारधारा प्रस्तुत की, जो आज भी आर्थिक नीति और समाज सुधार में महत्वपूर्ण है।


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निष्कर्ष:
शास्त्रीय अर्थशास्त्र मुक्त बाजार और व्यापार पर जोर देता है, जबकि वैज्ञानिक समाजवाद समाज में समानता और श्रमिकों के अधिकारों की वकालत करता है।

नवशास्त्रीय आर्थिक विचारक (Neo-Classical Economic Thinkers)

  1. जॉन हिक्स (John Hicks):
  1. “IS-LM मॉडल” विकसित किया, जो समष्टि अर्थशास्त्र (Macroeconomics) में बहुत महत्वपूर्ण है।
  2. उपभोक्ता व्यवहार और सामान्य संतुलन (General Equilibrium) पर कार्य किया।
  3. अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार (1972) प्राप्त किया।

जॉन हिक्स (John Hicks) के आर्थिक विचारों का माइंड मैप


1. परिचय (Introduction)


2. प्रमुख आर्थिक सिद्धांत (Key Economic Theories)

🔹 IS-LM मॉडल (IS-LM Model)


🔹 उपभोक्ता व्यवहार और उपयोगिता सिद्धांत (Consumer Behavior & Utility Theory)


🔹 सामान्य संतुलन सिद्धांत (General Equilibrium Theory)


🔹 कल्याणकारी अर्थशास्त्र (Welfare Economics)


🔹 पूंजी और विकास सिद्धांत (Capital & Growth Theory)


3. प्रभाव और योगदान (Impact & Contribution)

आधुनिक समष्टि अर्थशास्त्र (Macroeconomics) में योगदान
IS-LM मॉडल को केनेसियन अर्थशास्त्र के स्पष्टीकरण के लिए आवश्यक बनाया
कल्याणकारी अर्थशास्त्र और उपभोक्ता सिद्धांत को मजबूती दी

आलोचना:


4. निष्कर्ष (Conclusion)


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  1. गुनार मिर्डाल (Gunnar Myrdal):
  1. आर्थिक विकास और असमानता (Economic Development and Inequality) पर काम किया।
  2. “Asian Drama” पुस्तक लिखी, जिसमें विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था का विश्लेषण किया।
  3. कल्याणकारी अर्थशास्त्र (Welfare Economics) और संस्थागत अर्थशास्त्र (Institutional Economics) को बढ़ावा दिया।

गुणार म्यर्डाल (Gunnar Myrdal) के आर्थिक विचारों का माइंड मैप


1. परिचय (Introduction)


2. प्रमुख आर्थिक सिद्धांत (Key Economic Theories)

🔹 सर्कुलर और संचयी कारणात्मकता सिद्धांत (Circular and Cumulative Causation)


🔹 आर्थिक असमानता और विकास (Economic Inequality & Development)


🔹 नरम राज्य (Soft State) की अवधारणा


🔹 एशियाई विकास पर अध्ययन (“Asian Drama”)


🔹 कल्याणकारी अर्थशास्त्र (Welfare Economics)


3. प्रभाव और योगदान (Impact & Contribution)

विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को समझने में बड़ा योगदान।
संस्थागत सुधारों (Institutional Reforms) की जरूरत को समझाया।
आर्थिक योजनाओं और सरकारी हस्तक्षेप के लिए नई दृष्टि दी।

आलोचना:


4. निष्कर्ष (Conclusion)


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  1. केनेथ एरो (Kenneth Arrow):
    • “Arrow’s Impossibility Theorem” प्रस्तुत किया, जो सामाजिक पसंद (Social Choice) और लोकतांत्रिक निर्णय लेने से संबंधित है।
    • सामान्य संतुलन (General Equilibrium) और सूचना अर्थशास्त्र (Information Economics) पर योगदान दिया।
    • अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार (1972) प्राप्त किया।

  1. डब्ल्यू. आर्थर लुईस (W. Arthur Lewis):
    • दोहरी अर्थव्यवस्था (Dual Economy) का मॉडल प्रस्तुत किया, जो विकासशील देशों के औद्योगीकरण की व्याख्या करता है।
    • श्रम आपूर्ति और आर्थिक वृद्धि (Labor Supply and Economic Growth) पर शोध किया।
    • अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार (1979) प्राप्त किया।

निष्कर्ष:
नवशास्त्रीय अर्थशास्त्र (Neo-Classical Economics) मुख्य रूप से बाजार संतुलन, उपभोक्ता व्यवहार, विकासशील अर्थव्यवस्था और सामाजिक कल्याण से संबंधित सिद्धांतों पर केंद्रित है।

प्रमुख भारतीय आर्थिक विचारक

  1. कौटिल्य (Kautilya):
  1. “अर्थशास्त्र” के लेखक, जो प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था, राजनीति और प्रशासन पर केंद्रित है।
  2. व्यापार, कराधान, कृषि, श्रम और औद्योगिक नीतियों का विस्तृत विश्लेषण किया।

कौटिल्य (चाणक्य) के आर्थिक विचारों का माइंड मैप


1. परिचय (Introduction)


2. प्रमुख आर्थिक सिद्धांत (Key Economic Theories)

🔹 राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था (State-Controlled Economy)


🔹 कर व्यवस्था और राजस्व नीति (Taxation & Revenue Policy)


🔹 कृषि और सिंचाई (Agriculture & Irrigation)


🔹 व्यापार और बाजार नीति (Trade & Market Policy)


🔹 श्रमिक और उद्योग नीति (Labour & Industrial Policy)


🔹 धन, बैंकिंग और वित्त (Money, Banking & Finance)


3. प्रभाव और योगदान (Impact & Contribution)

भारतीय आर्थिक नीतियों पर प्रभाव:

आलोचना:


4. निष्कर्ष (Conclusion)


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  1. दादा भाई नौरोजी (Dada Bhai Naoroji):
    • “भारत का आर्थिक शोषण” (Drain Theory) का प्रतिपादन किया, जिसमें ब्रिटिश औपनिवेशिक शोषण की व्याख्या की गई।
    • “पॉवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया” नामक पुस्तक लिखी।

  1. महात्मा गांधी (M.K. Gandhi):
    • ग्राम स्वराज (Village Economy) और स्वदेशी (Self-Sufficiency) को बढ़ावा दिया।
    • कुटीर उद्योगों और विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था पर जोर दिया।

  1. महादेव गोविंद रानाडे (M.G. Ranade):
    • औद्योगिकीकरण और आर्थिक सुधारों के समर्थक।
    • आर्थिक राष्ट्रवाद (Economic Nationalism) का प्रचार किया।

  1. गोपाल कृष्ण गोखले (G.K. Gokhale):
    • सामाजिक और आर्थिक सुधारों के समर्थक।
    • ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय आर्थिक विकास की जरूरतों पर बल दिया।

निष्कर्ष:
ये सभी विचारक भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज सुधारों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नेता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद आर्थिक नीतियों को प्रभावित किया।

भारतीय आर्थिक विचारक और उनके योगदान

  1. डॉ. भीमराव अंबेडकर (B.R. Ambedkar):
  1. भारत के जल संसाधन और वित्त आयोग के विकास में योगदान।
  2. “द प्रॉब्लम ऑफ रूपी” पुस्तक में भारतीय मुद्रा प्रणाली पर विश्लेषण।

डॉ. बी. आर. अंबेडकर के आर्थिक विचारों का माइंड मैप


1. परिचय (Introduction)


2. प्रमुख आर्थिक सिद्धांत (Key Economic Theories)

🔹 राज्य समाजवाद (State Socialism)


🔹 कृषि सुधार और भूमि नीति (Agricultural & Land Reforms)


🔹 औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास (Industrialization & Economic Growth)


🔹 श्रमिक अधिकार और न्यूनतम मजदूरी (Labour Rights & Minimum Wages)


🔹 राष्ट्रीय आय और वित्तीय नीतियाँ (National Income & Financial Policies)


3. प्रभाव और योगदान (Impact & Contribution)

भारतीय आर्थिक नीतियों पर प्रभाव:

आलोचना:


4. निष्कर्ष (Conclusion)


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  1. जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru):
    • समाजवादी आर्थिक नीतियों और मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) की अवधारणा को बढ़ावा दिया।
    • पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की।

  1. डी. आर. गाडगिल (D.R. Gadgil):
    • कृषि और सहकारी आंदोलन पर विशेष योगदान।
    • “गाडगिल मॉडल” के रूप में जाना जाने वाला आर्थिक विकास का दृष्टिकोण।

  1. जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan):
  1. संपूर्ण क्रांति (Total Revolution) और विकेंद्रीकृत आर्थिक विकास पर बल।
  2. समाजवाद और ग्रामीण विकास के समर्थक।

  1. राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia):
    • समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialist Economy) के प्रवर्तक।
    • समानता और स्वदेशी उत्पादन पर जोर दिया।

  1. जगजीवन राम (Jagjivan Ram):
    • श्रमिक अधिकारों और कृषि सुधारों में योगदान।
    • हरित क्रांति को बढ़ावा दिया।

  1. पी. आर. ब्रह्मानंद और सी. एन. वकील (P.R. Brahmanand & C.N. Vakil):
  1. गरीबी उन्मूलन और भारतीय आर्थिक संरचना पर शोध।
  2. विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए मूल्य-आय वितरण सिद्धांत।

पी. आर. ब्रह्मानंद और सी. एन. वकील के आर्थिक विचारों का माइंड मैप


1. परिचय (Introduction)


2. प्रमुख आर्थिक सिद्धांत (Key Economic Theories)

🔹 Wage-Goods Model (वेतन-सामान मॉडल)


🔹 संधारित विकास (Sustained Growth)


🔹 मुद्रास्फीति और विकास (Inflation & Growth)


🔹 औद्योगिकीकरण और कृषि विकास


3. प्रभाव और योगदान (Impact & Contribution)

भारतीय आर्थिक नीतियों पर प्रभाव:

आलोचना:


4. निष्कर्ष (Conclusion)


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  1. वी. के. आर. वी. राव (V.K.R.V. Rao):
  1. भारतीय सांख्यिकी और आर्थिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया।
  2. राष्ट्रीय आय और योजना पर गहरा शोध।

वी. के. आर. वी. राव (V. K. R. V. Rao) के आर्थिक विचारों का माइंड मैप

1. परिचय (परिभाषा)


2. प्रमुख आर्थिक सिद्धांत

🔹 भारतीय आर्थिक नियोजन (Economic Planning)

🔹 गरीबी और असमानता पर विचार

🔹 कृषि और औद्योगीकरण (Agriculture & Industrialization)

🔹 सामाजिक क्षेत्र में निवेश (Social Sector Investment)

🔹 राष्ट्रीय आय का आकलन (National Income Accounting)

🔹 स्वदेशी अर्थशास्त्र (Indigenous Economics)


3. प्रभाव और योगदान

प्रभाव:

आलोचना:


4. निष्कर्ष

वी. के. आर. वी. राव का आर्थिक चिंतन भारतीय संदर्भ में नियोजन, शिक्षा, औद्योगिकीकरण, और सामाजिक सुधारों पर आधारित था। उन्होंने भारत के आर्थिक विकास को व्यावहारिक और सांख्यिकीय आधार प्रदान किया।


क्या आप इस माइंड मैप का ग्राफिकल चित्र चाहते हैं? 😊

  1. अमर्त्य सेन (Amartya Sen):
    • कल्याणकारी अर्थशास्त्र (Welfare Economics) और गरीबी उन्मूलन पर योगदान।
    • “कैपेबिलिटी अप्रोच” (Capability Approach) का प्रतिपादन।
    • अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार (1998) प्राप्त किया।

निष्कर्ष:
इन सभी विचारकों ने भारत की आर्थिक नीतियों, विकास रणनीतियों और सामाजिक न्याय में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे आधुनिक भारत की अर्थव्यवस्था को दिशा मिली।

The correct answer is:

(i) Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी ने ‘सर्वोदय’ (Sarvodaya) का सिद्धांत दिया था, जिसका अर्थ है “सभी का उत्थान”। यह विचार जॉन रस्किन की पुस्तक “Unto This Last” से प्रेरित था, जिसे गांधीजी ने गुजराती में “सर्वोदय” नाम से अनुवादित किया था।

यह सिद्धांत समाज के सभी वर्गों के कल्याण पर जोर देता है, विशेष रूप से गरीबों और वंचितों के उत्थान पर।

The correct answer is:

(i) Imaginary (काल्पनिक)

Mahadev Govind Ranade, a prominent Indian economist and social reformer, criticized the classical economists for their economic ideas, considering them too abstract and impractical for the Indian context. He believed that economic theories should be more realistic and applicable to solving real-world issues like poverty, industrialization, and social welfare.

The correct answer is:

(i) David Ricardo

David Ricardo wrote the book “Principles of Political Economy and Taxation” in 1817. In this book, he introduced key economic concepts such as comparative advantage, the labor theory of value, and the theory of rent. His ideas had a significant influence on classical economic theory.

The correct answer is:

(i) Mahadev Govind Ranade

Mahadev Govind Ranade is known as the “Father of the Indian Renaissance” due to his efforts in social reform, economic thought, and modernization of India. He advocated for women’s rights, education, industrialization, and economic self-reliance. Ranade was also a founding member of the Indian National Social Conference and worked towards eradicating social evils like child marriage and caste discrimination.

The correct answer is:

(iii) Both (i) and (ii) – Spirituality and Morality

Gandhian Economics is based on the principles of spirituality and morality. Mahatma Gandhi believed that economic policies should not only focus on material wealth but also consider ethical values, social justice, and self-sufficiency. He promoted the idea of trusteeship, decentralized economy, self-reliance (Swadeshi), and Sarvodaya (welfare for all).

The correct answer is:

(iii) Both (i) and (ii) – A.C. Pigou and Alfred Marshall

Neo-Classical Welfare Economics was primarily developed by Alfred Marshall and later expanded by A.C. Pigou.

Thus, both Marshall and Pigou are considered key contributors to Neo-Classical Welfare Economics.

The correct answer is:

(ii) Pessimist (निराशावादी)

Thomas Robert Malthus was a pessimistic economist because of his Population Theory. He argued that population grows exponentially, while food production grows arithmetically, leading to inevitable famine, poverty, and suffering. This Malthusian Theory of Population made him a pessimist, as he believed that human misery and natural disasters were necessary checks to control population growth.

The correct answer is:

(i) Raja Rammohan Roy (राजा राममोहन राय)

Raja Rammohan Roy is known as the Father of Modern Indian Renaissance because of his efforts in social, educational, and religious reforms during the 19th century.

His contributions played a key role in modernizing Indian society, which is why he is regarded as the pioneer of the Indian Renaissance.

The correct answer is:

(i) Sir William Petty (सर विलियम पेटी)

Explanation:

Mercantilism was an economic theory that dominated Europe from the 16th to 18th century, emphasizing government control over trade and accumulation of wealth through exports and colonial expansion.

Other economists listed:

Thus, Sir William Petty is the correct answer! ✅

The correct answer is:

(i) T. R. Malthus (टी आर माल्थस)

Explanation:

The book “An Essay on the Principle of Population” was written by Thomas Robert Malthus (T.R. Malthus) in 1798.

Other economists listed:

Thus, T. R. Malthus is the correct answer!

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