🧠 Module 1: उपभोक्ता/ माँग सिद्धांत (Consumer/ Demand Theory) – Mind Map
1️⃣ मार्शल का उपादेयता विश्लेषण (Marshallian Utility Analysis) ** Short Questions
- उपभोक्ता का उद्देश्य अधिकतम संतोष (Maximum Satisfaction) प्राप्त करना होता है।
- सीमांत उपादेयता (Marginal Utility) और कुल उपादेयता (Total Utility) की अवधारणा।
Law of diminishing marginal utility (सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम) ** Short Question
The law of diminishing marginal utility holds that as we consume more of an item, the amount of satisfaction produced by each additional unit of that good declines. The change in utility gained from utilizing an additional unit of a product is known as marginal utility.
घटती सीमांत उपयोगिता का नियम यह मानता है कि जैसे-जैसे हम किसी वस्तु का अधिक उपभोग करते हैं, उस वस्तु की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई द्वारा उत्पादित संतुष्टि की मात्रा घटती जाती है। किसी उत्पाद की अतिरिक्त इकाई के उपयोग से प्राप्त उपयोगिता में परिवर्तन को सीमांत उपयोगिता के रूप में जाना जाता है।
Equi marginal utility theory (सम-सीमांत सिद्धांत) ** Short Question
The Equi-marginal Principle, also known as the Law of Equi Marginal Utility or Gossen’s Second Law, implies that a consumer will distribute his/her income on various commodities in a manner that marginal utility derived from the last unit of money spent on each good is equal.
सम-सीमांत सिद्धांत, जिसे सम सीमांत उपयोगिता का नियम या गोसेन का दूसरा नियम भी कहा जाता है, का तात्पर्य है कि उपभोक्ता अपनी आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार वितरित करेगा कि प्रत्येक वस्तु पर खर्च की गई अंतिम इकाई से प्राप्त सीमांत उपयोगिता बराबर होगी।
2️⃣ उदासीनता वक्र विश्लेषण (Indifference Curve Analysis) ** Long Question
- उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं के संयोजन में से एक जैसा संतोष (Same Satisfaction) प्राप्त करता है।
- बजट रेखा (Budget Line) और संतुलन (Equilibrium) निर्धारण।
3️⃣ मूल्य प्रभाव, आय प्रभाव और प्रतिस्थापन प्रभाव (Price Effect, Income and Substitution Effects – Slutsky & Hicks)
- मूल्य प्रभाव (Price Effect): वस्तु की कीमत बदलने पर माँग में परिवर्तन।
- आय प्रभाव (Income Effect): उपभोक्ता की आय में वृद्धि/कमी होने पर माँग पर प्रभाव।
- प्रतिस्थापन प्रभाव (Substitution Effect): वस्तु की कीमत बढ़ने से उपभोक्ता का दूसरी वस्तु की ओर स्थानांतरण।
4️⃣ उपभोक्ता अधिशेष (Consumer Surplus – Hicksian Approach)
- उपभोक्ता एक वस्तु के लिए जितना भुगतान करने को तैयार है और जितना वास्तविक भुगतान करता है, उनके बीच का अंतर।
5️⃣ प्रतिपूर्ति माँग वक्र (Compensated Demand Curve)
- मूल्य परिवर्तन के कारण वास्तविक आय में बदलाव को समायोजित करता है।
- स्लट्सकी (Slutsky) और हिक्स (Hicks) विधियाँ।
6️⃣ प्रकट वरीयता सिद्धांत (Revealed Preference Analysis) / Samuelson’s demand theorem / Behaviouristic Ordinal Utility theory ** Long Question
- उपभोक्ता की वास्तविक क्रय शक्ति(Purchasing Behaviors) के आधार पर वरीयता का निर्धारण।
- सैमुअलसन (Samuelson) द्वारा प्रतिपादित।
7️⃣ हिक्स का माँग सिद्धांत (Hicks’ Revision of Demand Theory) ** Long Question
- हिक्स ने उपभोक्ता संतुलन की नई व्याख्या दी।
- प्राथमिक एवं द्वितीयक माँग सिद्धांत (First-order & Second-order Conditions)।
8️⃣ व्यावहारिक माँग सिद्धांत (The Pragmatic Approach to Demand Theory)
- वास्तविक जीवन की स्थितियों में माँग के व्यवहार का अध्ययन।
- माइक्रो-इकोनॉमिक्स में नीति-निर्माण हेतु उपयोगी।
9️⃣ माँग लोच का स्थिरता सिद्धांत (The Constant Elasticity of Demand Function)
- माँग लोच (Elasticity of Demand) कुछ विशेष वस्तुओं के लिए स्थिर रहती है।
- व्यावहारिक माँग पूर्वानुमान में सहायक।
🔟 गतिक माँग फलन (The Dynamic Demand Functions)
- समय के साथ माँग परिवर्तनशील होती है।
- विज्ञापन, उपभोक्ता आदतें और भविष्य की अपेक्षाओं का प्रभाव।
11️⃣ अनुभवजन्य माँग फलन (The Empirical Demand Function)
- सांख्यिकीय पद्धतियों का उपयोग कर माँग का आकलन।
- उपभोक्ता व्यवहार डेटा विश्लेषण।
12️⃣ रैखिक व्यय प्रणाली (The Linear Expenditure System)
- उपभोक्ता अपने आय का निश्चित भाग आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करता है।
- माँग पूर्वानुमान में उपयोगी।
Lag Effect ( विलंब प्रभाव ) ** Long Question
The effect lag is the amount of time between the time action is taken and an effect is realized. प्रभाव विलम्ब वह समय अवधि है जो कार्रवाई किए जाने और प्रभाव महसूस किए जाने के बीच होती है
In simple words, time lag is a delay between a cause and its effects or between a stimulus and its resulting response. It is a delay between when something occurs and when its effects are felt. When economic variables are changed, it takes some time to realise the effects of those changes, which is called time lag.
सरल शब्दों में, समय अंतराल किसी कारण और उसके प्रभावों के बीच या किसी उत्तेजना और उसके परिणामस्वरूप होने वाली प्रतिक्रिया के बीच की देरी है। यह किसी चीज़ के घटित होने और उसके प्रभावों के महसूस होने के बीच की देरी है। जब आर्थिक चर बदलते हैं, तो उन परिवर्तनों के प्रभावों को महसूस करने में कुछ समय लगता है, जिसे समय अंतराल कहा जाता है।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
उपभोक्ता माँग सिद्धांत बाजार की माँग को समझने और उपभोक्ता संतुलन की गणना में सहायक होता है। यह मूल्य निर्धारण, सरकारी नीतियों और व्यापार रणनीतियों के लिए आवश्यक है।
🧠 Module 2: उत्पादन सिद्धांत (Production Theory) – Mind Map
1️⃣ आइसोक्वांट (Iso-quant)
- उत्पादन में दो या अधिक इनपुट का संयोजन जिससे समान उत्पादन स्तर प्राप्त हो।
- आइसोक्वांट वक्र (Isoquant Curve) अधिक उत्पादन दर्शाने के लिए दाईं ओर झुकता है।
2️⃣ उत्पादन फलन (Production Function)
- इनपुट (श्रम, पूंजी) और आउटपुट (उत्पाद) के बीच संबंध।
- Q = f(L, K) (जहाँ Q = उत्पादन, L = श्रम, K = पूंजी)।
3️⃣ परिवर्तनशील अनुपात का नियम (Law of Variable Proportions) ** Long Question
- जब एक इनपुट को परिवर्तित किया जाता है, तो प्रारंभ में उत्पादन बढ़ता है, लेकिन बाद में घटने लगता है।
4️⃣ स्केल पर रिटर्न्स (Returns to Scale)
- बढ़ते रिटर्न्स (Increasing Returns to Scale): इनपुट बढ़ाने से उत्पादन अनुपात में अधिक बढ़ता है।
- स्थिर रिटर्न्स (Constant Returns to Scale): इनपुट और आउटपुट समान अनुपात में बढ़ते हैं।
- घटते रिटर्न्स (Decreasing Returns to Scale): इनपुट बढ़ाने पर उत्पादन वृद्धि की दर घटती है।
5️⃣ रैखिक समरूप उत्पादन फलन (Linear Homogeneous Production Function) ** Short Question
- इनपुट को किसी स्थिर अनुपात में बढ़ाने पर आउटपुट भी उसी अनुपात में बढ़ता है।
6️⃣ कॉब डगलस उत्पादन फलन (Cobb-Douglas Production Function) ** Short Question
- Q = A * L^α * K^β
(जहाँ A = तकनीकी स्थिरांक, L = श्रम, K = पूंजी, α और β उत्पादन लोच दर्शाते हैं)। - अर्थव्यवस्था में पूंजी और श्रम का योगदान मापने के लिए उपयोगी।
7️⃣ CES उत्पादन फलन (CES Production Function – Constant Elasticity of Substitution) ** Short Question
The constant elasticity of substitution, or CES production function, is used as a means for illustrating how the shape of isoquants change as the input mix changes. Examples of research using a translog production function to estimate elasticities of substitution for agricultural inputs are cited.
प्रतिस्थापन की निरंतर लोच, या सीईएस उत्पादन फ़ंक्शन, का उपयोग यह दर्शाने के लिए किया जाता है कि इनपुट मिश्रण में परिवर्तन होने पर आइसोक्वेंट का आकार कैसे बदलता है। कृषि इनपुट के लिए प्रतिस्थापन की लोच का अनुमान लगाने के लिए ट्रांसलॉग उत्पादन फ़ंक्शन का उपयोग करने वाले शोध के उदाहरण दिए गए हैं।
- विभिन्न इनपुट्स के प्रतिस्थापन की लोच (Elasticity of Substitution) को दर्शाता है।
- उत्पादन प्रक्रिया में लचीलापन बढ़ाने में सहायक।
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8️⃣ लागत फलन (Cost Functions) ** Long Question
- उत्पादन के लिए लागत निर्धारण।
- TC = FC + VC (कुल लागत = स्थिर लागत + परिवर्तनीय लागत)।
9️⃣ पारंपरिक लागत सिद्धांत (Traditional Theory of Cost)
- अल्पकालिक (Short Run) और दीर्घकालिक (Long Run) लागत संरचना पर केंद्रित।
- U-आकार की औसत लागत वक्र (U-Shaped Average Cost Curve)।
🔟 आधुनिक लागत सिद्धांत (Modern Theory of Cost)
- लाभ और व्यय का गहन विश्लेषण।
- उत्पादन लागत को अर्थशास्त्रीय और प्रबंधकीय दृष्टिकोण से देखता है।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
उत्पादन सिद्धांत उत्पादन प्रक्रिया को समझने में मदद करता है और व्यवसाय और सरकारी नीतियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
🧠 Module 3: पूर्ण प्रतियोगिता (Perfect Competition) – Mind Map
1️⃣ पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएँ (Features of Perfect Competition) ** Long Question
- अनेक विक्रेता और खरीदार होते हैं।
- सभी फर्मों के उत्पाद समान (Homogeneous) होते हैं।
- बाजार में प्रवेश और निकास पूरी तरह स्वतंत्र होता है।
- विक्रेता मूल्य निर्माता (Price Maker) नहीं होते, बल्कि मूल्य स्वीकारक (Price Taker) होते हैं।
- सभी को पूर्ण जानकारी (Perfect Knowledge) होती है।
2️⃣ बाजार मूल्य और मात्रा का निर्धारण (Determination of Market Price and Quantity)
- मांग और आपूर्ति के आधार पर मूल्य तय होता है।
- दीर्घकाल में अतिरिक्त लाभ समाप्त हो जाता है और सभी फर्में सामान्य लाभ कमाती हैं।
- संतुलन बिंदु (Equilibrium Point) पर मांग = आपूर्ति।
3️⃣ लघु अवधि संतुलन (Short Run Equilibrium) ** Short Question
- लघु अवधि में फर्में अल्पकालिक लाभ (Supernormal Profit) या हानि (Loss) कमा सकती हैं।
- MC = MR नियम का पालन किया जाता है।
- अगर औसत लागत (AC) > औसत राजस्व (AR) → हानि होगी।
- अगर औसत लागत (AC) < औसत राजस्व (AR) → अल्पकालिक लाभ होगा।
4️⃣ दीर्घकालिक संतुलन (Long Run Equilibrium)
- दीर्घकाल में सभी फर्में सामान्य लाभ (Normal Profit) ही कमाती हैं।
- क्योंकि अधिक लाभ देखकर नई फर्में बाजार में प्रवेश कर जाती हैं जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और लाभ समाप्त हो जाता है।
- LMC = LAC = P (दीर्घकालिक संतुलन नियम)।
Note: LAC = Long run average cost, LMC= Long run marginal cost
5️⃣ आपूर्ति वक्र की व्युत्पत्ति (Derivation of Supply Curve)
- लघु और दीर्घकाल में बाजार की आपूर्ति वक्र (Supply Curve) उत्पादन लागत से प्रभावित होती है।
- Firms की MC (सीमांत लागत) कर्व ही उनकी आपूर्ति कर्व होती है।
- अधिक कीमत मिलने पर उत्पादन बढ़ता है और आपूर्ति वक्र दाईं ओर शिफ्ट होता है।
Supply Curve (आपूर्ति वक्र) ** Short Question
The supply curve will move upward from left to right, illustrating the law of supply: As the price of a given commodity increases, the quantity supplied will increase (all else being equal).
आपूर्ति वक्र बाएं से दाएं ऊपर की ओर बढ़ेगा, जो आपूर्ति के नियम को दर्शाता है: जैसे-जैसे किसी वस्तु की कीमत बढ़ती है, आपूर्ति की मात्रा भी बढ़ेगी (बाकी सब समान होने पर)।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
पूर्ण प्रतियोगिता एक आदर्श बाजार व्यवस्था है जहाँ बाजार की शक्तियाँ स्वतंत्र रूप से काम करती हैं और सभी फर्में दीर्घकाल में सामान्य लाभ कमाती हैं।
🧠 Module 4: अपूर्ण प्रतिस्पर्धा – भाग I (Imperfect Competition – Part I) Mind Map
1️⃣ एकाधिकार (Monopoly) ** Long Question
✔ केवल एक विक्रेता और कई खरीदार होते हैं।
✔ बाजार में प्रवेश की बाधाएँ (Barriers to Entry) बहुत अधिक होती हैं।
✔ विक्रेता मूल्य निर्धारण (Price Maker) करता है।
✔ मांग वक्र नीचे की ओर ढलान वाला (Downward Sloping Demand Curve) होता है।
🔹 लघु एवं दीर्घकालिक संतुलन (Short & Long Run Equilibrium)
- लघु अवधि में: उच्च लाभ संभव होता है।
- दीर्घकाल में: प्रवेश बाधाओं के कारण अन्य फर्में बाजार में नहीं आ पातीं, जिससे एकाधिकार बना रहता है।
2️⃣ मूल्य भेदभाव (Price Discrimination)
✔ विभिन्न उपभोक्ताओं से अलग-अलग मूल्य वसूला जाता है।
✔ तीन प्रकार के मूल्य भेदभाव:
- प्रथम श्रेणी (First-degree) → प्रत्येक ग्राहक से अधिकतम कीमत ली जाती है।
- द्वितीय श्रेणी (Second-degree) → मात्रा के आधार पर भिन्न मूल्य।
- तृतीय श्रेणी (Third-degree) → विभिन्न बाजारों में अलग कीमतें।
3️⃣ एकाधिकार शक्ति नियंत्रण एवं विनियमन (Monopoly Power Control & Regulation)
✔ सरकार अत्यधिक मूल्य निर्धारण और उपभोक्ता शोषण रोकने के लिए नियमन लागू करती है।
✔ कराधान (Taxation), मूल्य नियंत्रण (Price Control), और सरकारी हस्तक्षेप (Government Intervention) जैसे उपाय किए जाते हैं।
4️⃣ मोनोपसॉनी (Monopsony) और द्विपक्षीय एकाधिकार (Bilateral Monopoly) ** Short Question
✔ मोनोपसॉनी (Monopsony): जब एकल खरीदार और कई विक्रेता होते हैं।
✔ द्विपक्षीय एकाधिकार (Bilateral Monopoly): जब एक ही बड़ा खरीदार और एक ही बड़ा विक्रेता होता है।
5️⃣ चेम्बरलिन की एकाधिकार प्रतिस्पर्धा (Chamberlain’s Monopolistic Competition)
✔ कई विक्रेता होते हैं, लेकिन उत्पाद भिन्न होते हैं।
✔ निश्चित ब्रांड पहचान (Brand Loyalty) और विज्ञापन का उपयोग किया जाता है।
✔ लघु अवधि में अल्पकालिक लाभ संभव होता है, लेकिन दीर्घकाल में सामान्य लाभ ही प्राप्त होता है।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
🔹 अपूर्ण प्रतिस्पर्धा के तहत एकाधिकार और एकाधिकार प्रतिस्पर्धा दोनों महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं।
🔹 सरकार को उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए नियमन लागू करना आवश्यक होता है।
🧠 Module 5: अपूर्ण प्रतिस्पर्धा – भाग II (Imperfect Competition – Part II) Mind Map
1️⃣ द्वयाधिकार मॉडल (Duopoly Models) ** Short Question
✔ बाजार में केवल दो प्रमुख विक्रेता होते हैं।
✔ दोनों फर्में एक-दूसरे की रणनीतियों पर निर्भर करती हैं।
✔ द्वयाधिकार बाजार के प्रमुख मॉडल:
- कुर्नो मॉडल (Cournot Model): प्रत्येक फर्म मानती है कि दूसरी फर्म अपनी उत्पादन मात्रा नहीं बदलेगी।
- बर्ट्रांड मॉडल (Bertrand Model): कंपनियाँ मूल्य-निर्धारण पर प्रतिस्पर्धा करती हैं, जिससे कीमतें कम हो जाती हैं।
- एजवर्थ मॉडल (Edgeworth Model): दोनों कंपनियाँ मूल्य निर्धारण में अनिश्चित व्यवहार अपनाती हैं।
- स्टैकलबर्ग मॉडल (Stackelberg Model): एक फर्म नेता (Leader) और दूसरी अनुयायी (Follower) के रूप में कार्य करती है।
2️⃣ अल्पाधिकार (Oligopoly) ** Long Question
✔ बाजार में कुछ बड़ी कंपनियाँ होती हैं, जो एक-दूसरे की रणनीतियों को प्रभावित करती हैं।
✔ मुख्य विशेषताएँ:
- आपसी निर्भरता (Interdependence)
- प्रवेश बाधाएँ (Barriers to Entry)
- मूल्य निर्धारण और उत्पादन में सामूहिक निर्णय (Joint Decision Making)
Collusive oligopoly मिलीभगत अल्पाधिकार ** Long Question
Collusive Oligopoly is a market situation wherein the firms cooperate with each other in determining price or output or both.
मिलीभगत वाला अल्पाधिकार एक ऐसी बाजार स्थिति है जिसमें फर्म कीमत या उत्पादन या दोनों का निर्धारण करने में एक दूसरे के साथ सहयोग करती हैं।
Non- Collusive oligopoly गैर-मिलीभगत अल्पाधिकार
A non-collusive oligopoly refers to a market situation where the firms compete with each other rather than cooperating.
गैर-मिलीभगत वाला अल्पाधिकार एक ऐसी बाजार स्थिति को संदर्भित करता है जहां फर्म सहयोग करने के बजाय एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं।
3️⃣ स्वीजी का टेढ़ा मांग वक्र मॉडल (Sweezy’s Kinked Demand Model) ** Long Question
✔ मूल्य कठोरता (Price Rigidity) को समझाने वाला एक मॉडल।
✔ यदि एक फर्म कीमत बढ़ाती है, तो अन्य फर्में उसका अनुसरण नहीं करतीं।
✔ यदि एक फर्म कीमत घटाती है, तो अन्य फर्में प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी कीमतें भी कम कर देती हैं।
4️⃣ कार्टेल और मूल्य नेतृत्व मॉडल (Cartels & Price Leadership)
✔ कार्टेल (Cartels):
- फर्में मिलकर उत्पादन और मूल्य को नियंत्रित करती हैं।
- उदाहरण: OPEC (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन)।
✔ मूल्य नेतृत्व (Price Leadership): ** Long Question
- एक प्रमुख फर्म कीमत तय करती है, और अन्य कंपनियाँ उसका अनुसरण करती हैं।
- आमतौर पर सबसे बड़ी या सबसे प्रभावशाली फर्म यह भूमिका निभाती है।
Price rigidity (मूल्य कठोरता) ** Long Question
Price rigidity involves prices that do not change with the regularity predicted by standard economic theory, and is of long-standing interest to firms and industries, and our understanding of the economy as a whole.
मूल्य कठोरता में वे कीमतें शामिल होती हैं जो मानक आर्थिक सिद्धांत द्वारा पूर्वानुमानित नियमितता के साथ नहीं बदलती हैं, और यह फर्मों और उद्योगों के लिए लंबे समय से रुचि का विषय है, और समग्र रूप से अर्थव्यवस्था की हमारी समझ के लिए भी।
Price rigidity in monopoly? एकाधिकार में मूल्य कठोरता क्या है?
Price rigidity implies that the price is unresponsive to the changes in demand. This is because of the fact that even if any firm raises the price of its product with the motive of earning higher profits, the other firm will not do so, and the first firm will lose its customers.
मूल्य कठोरता का तात्पर्य है कि कीमत मांग में परिवर्तन के प्रति अनुत्तरदायी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि कोई फर्म अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से अपने उत्पाद की कीमत बढ़ाती है, तो दूसरी फर्म ऐसा नहीं करेगी, और पहली फर्म अपने ग्राहकों को खो देगी।
What is price rigidity in Sweezy model? स्वीज़ी मॉडल में मूल्य कठोरता क्या है?
Results of the analysis of the Sweezy model imply that the change in company costs due to higher prices of inputs does not affect product prices and this is the reason behind the rigidity of prices in the oligopolistic markets in the Sweezy model.
स्वीज़ी मॉडल के विश्लेषण के परिणामों से पता चलता है कि इनपुट की उच्च कीमतों के कारण कंपनी की लागत में परिवर्तन उत्पाद की कीमतों को प्रभावित नहीं करता है और यही स्वीज़ी मॉडल में ओलिगोपोलिस्टिक बाजारों में कीमतों की कठोरता के पीछे का कारण है
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
🔹 अपूर्ण प्रतिस्पर्धा के तहत द्वयाधिकार और अल्पाधिकार दोनों प्रकार के बाजारों में उच्च स्तर की रणनीतिक निर्भरता होती है।
🔹 कार्टेल और मूल्य नेतृत्व से प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव पड़ता है और बाजार में मूल्य नियंत्रण होता है।