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Unit 14: Fundamental of E-Commerce

🛒 1. Introduction to Commerce (व्यापार की मूल बातें)

➤ वाणिज्य (Commerce) क्या है?

Commerce का मतलब है:

माल और सेवाओं का उत्पादनकर्ता से उपभोक्ता तक आदान-प्रदान (exchange of goods and services).

यह दो प्रमुख भागों में बाँटा जाता है:

भागविवरण
व्यापार (Trade)वस्तुओं की ख़रीद और बिक्री
सहायक सेवाएँ (Aids to trade)बैंकिंग, बीमा, परिवहन, विज्ञापन आदि जो व्यापार में सहायता करते हैं

🌐 2. Introduction to Electronic Commerce (ई-कॉमर्स की परिभाषा)

➤ ई-कॉमर्स क्या है?

Electronic Commerce (E-Commerce) का अर्थ है:

इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों के माध्यम से माल और सेवाओं की ख़रीद-बिक्री।

इसमें शामिल हैं:


🧱 3. Electronic Commerce Framework (ई-कॉमर्स फ्रेमवर्क)

ई-कॉमर्स फ्रेमवर्क एक सिस्टम संरचना (system structure) है, जिसमें कई भाग होते हैं जो एक साथ मिलकर ऑनलाइन व्यापार को संभव बनाते हैं:

🔹 मुख्य घटक:

  1. People (लोग): ग्राहक, विक्रेता, सप्लायर, डेवलपर आदि
  2. Public Policy (नीतियाँ): साइबर कानून, टैक्स, सुरक्षा नियम
  3. Marketing & Advertising (विपणन): ब्रांडिंग, SEO, ऑनलाइन प्रचार
  4. Business Services (सेवाएँ): पेमेंट गेटवे, लॉजिस्टिक्स, ग्राहक सेवा
  5. Infrastructure (बुनियादी ढाँचा): इंटरनेट, मोबाइल नेटवर्क, हार्डवेयर, सॉफ़्टवेयर

ये सभी मिलकर एक ई-कॉमर्स इकोसिस्टम बनाते हैं।


📺 4. Electronic Commerce and Media Convergence (मीडिया संगम)

➤ Media Convergence का मतलब:

जब अलग-अलग मीडिया टेक्नोलॉजी (जैसे TV, मोबाइल, कंप्यूटर) एक साथ आकर एक unified प्लेटफॉर्म पर मिलती हैं, उसे मीडिया कन्वर्जेंस कहते हैं।

ई-कॉमर्स में इसका प्रभाव:

उदाहरण:
आप YouTube पर product review देख रहे हैं और वहीं से उसे Amazon पर खरीद सकते हैं। यही है ई-कॉमर्स + मीडिया कन्वर्जेंस


🔍 5. Anatomy of E-Commerce Application (ई-कॉमर्स एप्लिकेशन की संरचना)

एक ई-कॉमर्स एप्लिकेशन को समझने के लिए हमें इसके मुख्य अंगों को देखना होता है:

🔸 1. User Interface (UI):

🔸 2. Catalog Management:

🔸 3. Shopping Cart System:

🔸 4. Payment Gateway Integration:

🔸 5. Order Management System (OMS):

🔸 6. Backend Systems:


📝 संक्षेप सारांश (Quick Recap)

टॉपिकविवरण
Commerceसामानों और सेवाओं का आदान-प्रदान
E-Commerceइंटरनेट के माध्यम से व्यापार
Frameworkलोग, नीति, इंफ्रास्ट्रक्चर, सेवाएँ
Media Convergenceविभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म का एकत्रीकरण
Anatomy of E-Commerce AppUI, Catalog, Cart, Payment, Order Management

🛜 1. Need of Network for E-Commerce (ई-कॉमर्स में नेटवर्क की आवश्यकता)

➤ क्यों ज़रूरी है नेटवर्क?

ई-कॉमर्स में सारी गतिविधियाँ इंटरनेट पर होती हैं, जैसे:

इन सबके लिए एक तेज़, सुरक्षित, और विश्वसनीय नेटवर्क की जरूरत होती है।

🔹 नेटवर्क की ज़रूरत क्यों?

कारणविवरण
कनेक्टिविटीग्राहक, विक्रेता और सर्वर को जोड़ना
रियल-टाइम डेटातुरंत जानकारी और ऑर्डर अपडेट
सिक्योर ट्रांज़ैक्शनसुरक्षित रूप से भुगतान
ग्लोबल पहुंचदुनिया भर के ग्राहक तक पहुँचना

🌐 2. Market Forces Influencing the I-Way (I-Way को प्रभावित करने वाली बाज़ार शक्तियाँ)

➤ I-Way (Information Highway) क्या है?

यह एक नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर है जो डिजिटल जानकारी (डाटा, वीडियो, ऑडियो आदि) को तेज़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाता है।

🧩 Market Forces (बाजार बल) जो I-Way को प्रभावित करते हैं:

  1. Customers (ग्राहक):
    • ऑनलाइन अनुभव, तेज़ डिलीवरी और कस्टमाइजेशन की अपेक्षा करते हैं।
  2. Technology Advancements (तकनीकी प्रगति):
    • 5G, Fiber Optic, Cloud computing से नेटवर्क और तेज़ व सक्षम हो रहा है।
  3. Competition (प्रतिस्पर्धा):
    • Amazon, Flipkart जैसी कंपनियाँ तेज़ नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश करती हैं ताकि ग्राहकों को बेहतर सेवा मिले।
  4. Government Policies (सरकारी नीतियाँ):
    • डेटा सुरक्षा कानून, डिजिटल इंडिया जैसे प्रोग्राम नेटवर्क विकास को प्रभावित करते हैं।
  5. Cost Factors (लागत):
    • सस्ता इंटरनेट और उपकरण अधिक लोगों को जोड़ने में मदद करता है।

🧱 3. Components of I-Way (I-Way के मुख्य घटक)

➤ I-Way तीन स्तरों पर काम करता है:

स्तरघटक
Physical Layer (भौतिक स्तर)केबल, राउटर, स्विच, वायरलेस नेटवर्क
Network Services (सेवाएँ)डेटा ट्रांसमिशन, इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP), DNS
Applications (एप्लिकेशन स्तर)वेबसाइट्स, मोबाइल ऐप्स, ईमेल, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन

🔹 अन्य मुख्य घटक:

  1. Backbone Providers – बड़े नेटवर्क (जैसे BSNL, Airtel, Reliance)
  2. Access Providers – ISP (Jio, ACT, etc.)
  3. Switches & Routers – डेटा रूटिंग
  4. Middleware – यूज़र और सर्वर के बीच कम्युनिकेशन टूल

📡 4. Network Access Equipment (नेटवर्क एक्सेस उपकरण)

ये वे हार्डवेयर डिवाइसेज़ हैं जो ई-कॉमर्स में नेटवर्क से कनेक्टिविटी संभव बनाते हैं।

🔸 उदाहरण:


🌍 5. Global Information Distribution Network (वैश्विक सूचना वितरण नेटवर्क)

➤ इसका मतलब:

विश्व भर में डेटा का तेज़ और सुरक्षित आदान-प्रदान करने वाला नेटवर्क सिस्टम, जिससे कोई भी ग्राहक या व्यापारी किसी भी देश में बैठकर ई-कॉमर्स कर सकता है।

🔹 इसमें शामिल हैं:

  1. Internet Infrastructure – समुद्र के नीचे बिछी फाइबर ऑप्टिक केबल्स
  2. Content Delivery Networks (CDN) – वेबसाइट को तेज़ लोड करने में मदद
  3. Cloud Computing – सर्वर, डेटा स्टोरेज और स्केलेबिलिटी
  4. Cybersecurity Tools – ग्लोबल सुरक्षा समाधान
  5. Global Payment Systems – PayPal, Stripe, Razorpay, etc.

📝 संक्षेप सारांश (Quick Recap)

टॉपिकसारांश
Need of Networkई-कॉमर्स के लिए कनेक्टिविटी, सुरक्षा और गति
Market Forcesग्राहक की माँग, प्रतिस्पर्धा, तकनीक और सरकारी नियम
I-Way Componentsनेटवर्क केबल्स, सेवाएँ, एप्लिकेशन लेयर
Network Access EquipmentModem, Router, Firewall, Wi-Fi आदि
Global Info Distributionदुनिया भर में तेज़ और सुरक्षित डेटा ट्रांसफर सिस्टम

🌐 1. The Internet as a Network Infrastructure (इंटरनेट एक नेटवर्क संरचना के रूप में)

➤ इंटरनेट क्या है?

Internet एक वैश्विक नेटवर्क (Global Network) है जो करोड़ों कंप्यूटर और अन्य डिवाइसों को आपस में जोड़ता है ताकि वे जानकारी का आदान-प्रदान कर सकें।

इसे एक “Information Superhighway” भी कहा जाता है।

➤ Network Infrastructure का मतलब:

यह एक ऐसा सिस्टम है जो इंटरनेट को चलाने, जोड़ने, और डाटा ट्रांसफर को संभव बनाता है।


🧾 2. Internet Terminology (इंटरनेट से जुड़े शब्द)

शब्दअर्थ
IP Addressहर डिवाइस का यूनिक पता जैसे 192.168.0.1
Domain Nameवेबसाइट का नाम (जैसे google.com)
DNS (Domain Name System)IP address को human-readable नाम में बदलता है
ISP (Internet Service Provider)इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियाँ (जैसे Jio, Airtel)
URL (Uniform Resource Locator)वेबसाइट का पूरा पता (जैसे https://www.example.com)
HTTP / HTTPSवेबसाइटों के लिए प्रोटोकॉल (HTTPS = secure)
Routerडेटा को नेटवर्क में आगे भेजता है
Bandwidthडेटा ट्रांसफर की क्षमता (जैसे 100 Mbps)

🏛️ 3. NSFNET: Architecture and Components (एनएसएफनेट: संरचना और घटक)

➤ NSFNET क्या था?

NSFNET (National Science Foundation Network)
→ यह अमेरिका में विकसित एक बड़ी हाई-स्पीड नेटवर्क प्रणाली थी जिसने आधुनिक इंटरनेट के विकास की नींव रखी

📅 शुरूआत: 1985 में
🎯 उद्देश्य: शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को जोड़ना


🔧 NSFNET की मुख्य संरचना:

  1. Backbone Network:
    • उच्च गति वाला केंद्रीय नेटवर्क जिससे अन्य नेटवर्क जुड़े रहते हैं
    • शुरुआत में स्पीड: 56 Kbps → बाद में 1.5 Mbps (T1) और 45 Mbps (T3)
  2. Regional Networks:
    • विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों को Backbone से जोड़ते थे
  3. Campus Networks:
    • किसी संस्था के अंदरूनी नेटवर्क

🧩 NSFNET के घटक (Components):

घटककार्य
Routersडेटा को सही दिशा में भेजना
Gatewaysअलग नेटवर्कों को जोड़ना
Leased Linesस्थाई इंटरनेट कनेक्शन के लिए
ProtocolsTCP/IP, FTP आदि का उपयोग

NSFNET ने ARPANET को रिप्लेस किया और व्यावसायिक इंटरनेट का रास्ता खोला।


🧑‍⚖️ 4. Internet Governance (इंटरनेट संचालन)

➤ इंटरनेट कौन नियंत्रित करता है?

इंटरनेट पर किसी एक देश या संस्था का पूरा नियंत्रण नहीं है। इसे विभिन्न वैश्विक संगठनों द्वारा मिलकर नियंत्रित किया जाता है।


🌍 5. The Internet Society (ISOC)

➤ ISOC क्या है?

Internet Society (ISOC) एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था है, जो इंटरनेट की विकास, मानकीकरण, और नीति निर्धारण में योगदान देती है।

📅 स्थापना: 1992
📍 मुख्यालय: अमेरिका (Reston, Virginia) & Switzerland


🎯 ISOC के उद्देश्य:

  1. Open Internet का प्रचार
  2. इंटरनेट से जुड़ी नीतियाँ बनाना
  3. साइबर सुरक्षा और यूज़र की आज़ादी को बढ़ावा देना
  4. IETF (Internet Engineering Task Force) जैसे टेक्निकल ग्रुप्स को सपोर्ट करना

📝 संक्षेप सारांश (Quick Recap)

टॉपिकविवरण
Internet Infrastructureहार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर सिस्टम जो इंटरनेट को चलाते हैं
Internet TerminologyIP, DNS, ISP, HTTP, URL आदि
NSFNETअमेरिका का उच्च-गति नेटवर्क जिसने इंटरनेट की नींव रखी
NSFNET ComponentsBackbone, Routers, Protocols
Internet Governanceइंटरनेट पर नियंत्रण और नियम
Internet Society (ISOC)इंटरनेट को सुरक्षित और खुला बनाए रखने वाली संस्था

🔐 1. Client-Server Network Security (क्लाइंट-सर्वर नेटवर्क सुरक्षा)

➤ Client-Server Model क्या है?

इस मॉडल में:

🔒 क्यों जरूरी है सुरक्षा?

क्योंकि क्लाइंट और सर्वर के बीच:


⚠️ 2. Security Threats in Client-Server (क्लाइंट-सर्वर में खतरे)

खतराविवरण
Phishingनकली वेबसाइट बनाकर यूज़र की जानकारी चुराना
Malwareवायरस या ट्रोजन से सर्वर या क्लाइंट को नुकसान
Man-in-the-Middle Attackयूज़र और सर्वर के बीच डाटा चुराना
Denial of Service (DoS)सर्वर को ओवरलोड कर देना जिससे वह बंद हो जाए
Packet Sniffingनेटवर्क में बहता डेटा चुपचाप पढ़ना

🔥 3. Firewalls and Network Security (फ़ायरवॉल और नेटवर्क सुरक्षा)

➤ Firewall क्या होता है?

Firewall एक सुरक्षा दीवार है जो नेटवर्क के भीतर और बाहर जाने वाले डेटा को नियंत्रित करती है। यह तय करता है कि कौन-सी चीज़ों को अनुमति दी जाए और किसे नहीं।

🔹 Firewall के प्रकार:

🔐 Firewall कैसे सुरक्षा करता है:


📁 4. Data & Message Security (डेटा और संदेश की सुरक्षा)

➤ क्यों जरूरी है?

डेटा ट्रांसफर के दौरान कोई उसे इंटरसेप्ट (intercept) कर सकता है। इसलिए उसे एन्क्रिप्ट किया जाता है।

🔐 सुरक्षा के तरीके:

तरीकाकार्य
Encryption (एन्क्रिप्शन)डेटा को ऐसे कोड में बदलना जिसे केवल सही key से ही पढ़ा जा सके
Digital Signatureसंदेश भेजने वाले की पहचान की पुष्टि
Hashingडेटा की सत्यता सुनिश्चित करना (data integrity)

📧 5. Encrypted Documents and Electronic Mail (एन्क्रिप्टेड डॉक्युमेंट और ई-मेल)

🔸 Encrypted Documents:

🔸 Secure Email:

🔐 ईमेल सुरक्षा में शामिल हैं:


📝 संक्षेप सारांश (Quick Recap)

टॉपिकसारांश
Client-Server Securityक्लाइंट और सर्वर के बीच डेटा को सुरक्षित रखना
ThreatsPhishing, Malware, DoS आदि
Firewallsनेटवर्क में सुरक्षा दीवार जो ट्रैफिक को नियंत्रित करती है
Data SecurityEncryption, Digital Signature, Hashing
Email SecurityPGP, Encrypted Attachments, Spam Blocker

🌐 1. Introduction (परिचय)

Electronic Commerce (E-Commerce) क्या है?

ई-कॉमर्स का मतलब है इंटरनेट के माध्यम से माल और सेवाओं की खरीद-बिक्री

📦 उदाहरण:


World Wide Web (WWW) क्या है?

WWW एक ग्लोबल सिस्टम है जो इंटरनेट पर हाइपरटेक्स्ट डॉक्युमेंट्स (वेबसाइट्स, वेबपेज आदि) को एक्सेस करने की सुविधा देता है।

🧠 इसे Sir Tim Berners-Lee ने 1989 में बनाया था।

📌 ध्यान दें:
इंटरनेट = नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर
WWW = इंटरनेट पर चलने वाली सर्विस


🧱 2. Architectural Framework for Electronic Commerce (ई-कॉमर्स की संरचनात्मक रूपरेखा)

ई-कॉमर्स आर्किटेक्चर में मुख्यतः तीन स्तर (layers) होते हैं:

🔸 A. Client Layer (यूज़र इंटरफेस)

🔸 B. Application Layer (बिजनेस लॉजिक)

🔸 C. Database Layer (डेटा स्टोरेज)

📊 सहायक घटक:


🌍 3. WWW as an Architecture (WWW को आर्किटेक्चर के रूप में समझना)

➤ WWW आर्किटेक्चर के मुख्य घटक:

घटककार्य
Web Browserवेबसाइट को एक्सेस करता है (Chrome, Firefox)
Web Serverवेबसाइट की फाइलें होस्ट करता है
HTTP/HTTPSब्राउज़र और सर्वर के बीच कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल
URL (Uniform Resource Locator)वेबसाइट का पता
HTML/CSS/JSवेबसाइट का डिजाइन और फंक्शनलिटी

WWW = Client-Server architecture पर आधारित है।


🔐 4. Security in the Web (वेब पर सुरक्षा)

➤ वेब पर क्या खतरे हो सकते हैं?


✅ Web Security Techniques:

तकनीकविवरण
HTTPS (SSL/TLS)डेटा को एन्क्रिप्ट करता है
Authenticationयूज़र लॉगिन, OTP, Captcha आदि
Digital Certificatesवेबसाइट की वैधता की पुष्टि
Firewall & Antivirusअनधिकृत ट्रैफिक को रोकते हैं
Secure Payment GatewayPCI-DSS कंप्लायंट पेमेंट सिस्टम

📄 संक्षेप सारांश (Quick Recap)

टॉपिकसारांश
E-Commerceइंटरनेट पर व्यापार
WWWवेबसाइटों की वैश्विक प्रणाली
E-Commerce ArchitectureClient, Application और Database लेयर
WWW Architectureब्राउज़र, सर्वर, HTTP, URL आदि
Web SecurityHTTPS, Authentication, Firewalls आदि द्वारा सुरक्षा

🛒 1. Introduction (परिचय)

➤ Consumer Oriented Electronic Commerce क्या है?

यह ई-कॉमर्स का वो हिस्सा है जो सीधे उपभोक्ता (Consumer) को लक्षित करता है। यानी, इंटरनेट के जरिए ग्राहक को सीधे माल या सेवाएँ प्रदान करना।

📌 उदाहरण:


📱 2. Consumer Oriented Applications (उपभोक्ता केंद्रित एप्लीकेशन्स)

एप्लीकेशनविवरण
Online Shoppingप्रोडक्ट खरीदना जैसे कपड़े, किताबें, इलेक्ट्रॉनिक्स
Online Bankingबैंकिंग सेवाएं घर बैठे
E-Ticketingफ्लाइट, मूवी, ट्रेन टिकट ऑनलाइन बुकिंग
Online Educationकोर्सेज और वेबिनार्स
Digital PaymentsUPI, Wallets जैसे Google Pay, Paytm

⚙️ 3. Mercantile Process Models (मर्केंटाइल प्रोसेस मॉडल्स)

यह मॉडल बताते हैं कि कैसे व्यापारिक प्रक्रियाएँ ऑनलाइन होती हैं। इनमें मुख्यतः तीन प्रोसेस होते हैं:

🔸 A. Information Process

🔸 B. Negotiation Process

🔸 C. Payment Process


🧩 4. Mercantile Models from the Consumer’s Perspective (उपभोक्ता के नजरिए से मर्केंटाइल मॉडल्स)

मॉडलविवरण
E-Shoppingउपभोक्ता ऑनलाइन प्रोडक्ट देखते हैं और खरीदते हैं
E-Auctionsऑनलाइन नीलामी जहां ग्राहक बोली लगाते हैं
E-Bankingबैंकिंग सेवाओं का उपयोग करना
E-Cashडिजिटल मुद्रा का उपयोग

💼 5. Mercantile Models from the Merchant’s Perspective (व्यापारी के नजरिए से मर्केंटाइल मॉडल्स)

मॉडलविवरण
Direct Sales Modelव्यापारी सीधे ग्राहक को उत्पाद बेचता है
Brokerage Modelव्यापारी ग्राहकों और विक्रेताओं के बीच बिचौलिया होता है
Advertising Modelवेबसाइट या प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन से राजस्व प्राप्त करना
Subscription Modelग्राहक नियमित भुगतान कर सेवा प्राप्त करता है (जैसे Netflix)

📋 संक्षेप सारांश (Quick Recap)

टॉपिकसारांश
Consumer Oriented E-Commerceउपभोक्ता को ध्यान में रखकर ऑनलाइन व्यापार
Applicationsऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग, टिकटिंग, डिजिटल पेमेंट
Mercantile Process Modelsजानकारी, बातचीत, भुगतान के प्रोसेस
Consumer’s Perspectiveऑनलाइन खरीदारी, नीलामी, बैंकिंग
Merchant’s Perspectiveडायरेक्ट सेल, ब्रोकर, विज्ञापन, सब्सक्रिप्शन

💳 1. Introduction (परिचय)

Electronic Payment System (ई-भुगतान प्रणाली) वो सिस्टम है जो इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पेमेंट करने की सुविधा देता है। इसका उद्देश्य कैश की जगह डिजिटल तरीके से पैसे ट्रांसफर करना है।

उदाहरण: ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर, डिजिटल वॉलेट, क्रेडिट कार्ड पेमेंट।


🛠️ 2. Types of Electronic Payment Systems (ई-भुगतान प्रणालियों के प्रकार)

प्रकारविवरण
Digital Token Based Systemsडिजिटल टोकन (जैसे वॉलेट में स्टोर किया गया पैसा) का उपयोग
Smart Card Based Systemsचिप वाले कार्ड जो इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट के लिए उपयोग होते हैं
Credit Card Systemsक्रेडिट कार्ड के जरिए पेमेंट करना
Debit Card Systemsडेबिट कार्ड के जरिए सीधे बैंक से पैसे कटना
E-Cash Systemsइंटरनेट पर नकद जैसे इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा का उपयोग

🔑 3. Digital Token Based Electronic Payment Systems


💳 4. Smart Cards and Electronic Payment Systems


💳 5. Credit Card Systems


⚠️ 6. Threats on Electronic Payment System (ई-भुगतान प्रणाली पर खतरे)

खतराविवरण
Phishing Attacksनकली वेबसाइट या ईमेल के जरिए जानकारी चुराना
Man-in-the-Middle Attackयूज़र और सर्वर के बीच डेटा इंटरसेप्ट करना
Data Breachडेटाबेस से संवेदनशील जानकारी चोरी होना
Card Skimmingकार्ड की जानकारी चुराना
Malware Attacksवायरस से डिवाइस या ट्रांजैक्शन को नुकसान पहुंचाना

🛡️ सुरक्षा के उपाय


📋 संक्षेप सारांश

टॉपिकसारांश
Electronic Payment Systemsडिजिटल माध्यम से पैसे ट्रांसफर करना
TypesDigital Tokens, Smart Cards, Credit Cards, E-Cash
Digital Tokenवॉलेट या डिजिटल वैल्यू
Smart Cardsचिप वाले कार्ड
Credit Cardsबैंकों द्वारा क्रेडिट आधारित भुगतान
Threatsफिशिंग, मैलवेयर, डेटा चोरी आदि

🏢 1. Introduction (परिचय)

Inter-organizational Commerce क्या है?

यह दो या दो से अधिक अलग-अलग संगठन (Organizations) के बीच व्यापार और लेन-देन करने की प्रक्रिया है। इसमें कंपनियां अपने बिजनेस डाटा और डॉक्यूमेंट्स आपस में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शेयर करती हैं।

Electronic Data Interchange (EDI) क्या है?

EDI एक डिजिटल सिस्टम है जिसके द्वारा बिजनेस डॉक्यूमेंट्स (जैसे इनवॉइस, पर्चेज ऑर्डर, शिपमेंट नोटिस) को एक संगठन से दूसरे संगठन तक इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजा जाता है।


💼 2. EDI Application in Business (बिजनेस में EDI का उपयोग)

उपयोग क्षेत्रविवरण
Supply Chain Managementसप्लायर और विक्रेता के बीच ऑर्डर और भुगतान का आदान-प्रदान
Inventory Managementस्टॉक की जानकारी रियल टाइम में शेयर करना
Billing & Paymentsइनवॉइस भेजना और भुगतान प्रक्रिया को स्वचालित करना
Logisticsशिपमेंट और डिलीवरी की जानकारी का आदान-प्रदान

🔐 3. EDI: Legal, Security, and Privacy Issues (कानूनी, सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी मुद्दे)

➤ Legal Issues (कानूनी मुद्दे)

➤ Security Issues (सुरक्षा मुद्दे)

➤ Privacy Issues (गोपनीयता मुद्दे)


🌐 4. EDI and Electronic Commerce (EDI और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स)


📋 संक्षेप सारांश (Quick Recap)

टॉपिकसारांश
Inter-organizational Commerceदो या अधिक संगठनों के बीच व्यापार
EDIबिजनेस डॉक्यूमेंट्स का इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रदान
Applicationsसप्लाई चेन, इन्वेंटरी, बिलिंग, लॉजिस्टिक्स
Legal Issuesइलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट की वैधता और नियम
Security Issuesडेटा की सुरक्षा और एन्क्रिप्शन
Privacy Issuesडेटा की गोपनीयता और अधिकार नियंत्रण
EDI & E-Commerceव्यापारिक प्रक्रियाओं को स्वचालित और सुरक्षित बनाना

📚 1. Introduction (परिचय)

Corporate Digital Library एक ऐसा डिजिटल सिस्टम होता है जिसमें एक कंपनी के सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स, रिपोर्ट्स, और जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहित किया जाता है ताकि वह आसानी से एक्सेस, शेयर और मैनेज की जा सके।


🌐 2. Dimensions of Electronic Commerce Systems (ई-कॉमर्स सिस्टम के आयाम)

आयाम (Dimension)विवरण
Informationव्यापार से जुड़ी सारी जानकारी का डिजिटल संग्रह
Communicationविभिन्न यूज़र्स के बीच सूचना का आदान-प्रदान
Commerceऑनलाइन व्यापार प्रक्रिया और लेन-देन
Processingडेटा की प्रोसेसिंग और विश्लेषण
Securityजानकारी की सुरक्षा और गोपनीयता

📄 3. Types of Digital Documents (डिजिटल डॉक्यूमेंट्स के प्रकार)

प्रकारविवरण
Text Documentsरिपोर्ट, लेख, ईमेल आदि
Multimedia Documentsवीडियो, ऑडियो, इमेजेज
Hypermedia Documentsहाइपरलिंक से जुड़े डॉक्यूमेंट्स
Structured DocumentsXML, JSON जैसे फॉर्मेट में डेटा
Databasesसंरचित डेटा का संग्रहण

⚙️ 4. Issues Behind Document Infrastructure (डॉक्यूमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के पीछे की समस्याएँ)

समस्याविवरण
Compatibility Issuesअलग-अलग फॉर्मेट्स और सिस्टम्स के बीच तालमेल की कमी
Scalabilityबड़े डेटा और डॉक्यूमेंट्स को संभालना
Securityडॉक्यूमेंट्स की सुरक्षा और एक्सेस कंट्रोल
Storageडिजिटल डॉक्यूमेंट्स के लिए पर्याप्त स्टोरेज
Data Integrityडॉक्यूमेंट की सटीकता और अखंडता बनाए रखना

🏢 5. Corporate Data Warehouses (कॉर्पोरेट डेटा वेयरहाउस)


📋 संक्षेप सारांश

टॉपिकसारांश
Corporate Digital Libraryकंपनी के डॉक्यूमेंट्स का डिजिटल संग्रह
E-Commerce Dimensionsसूचना, संचार, व्यापार, प्रोसेसिंग, सुरक्षा
Types of Digital Documentsटेक्स्ट, मल्टीमीडिया, हाइपरमीडिया, स्ट्रक्चर्ड, डेटाबेस
Document Infrastructure Issuesकम्पैटिबिलिटी, सिक्योरिटी, स्टोरेज, डेटा इंटीग्रिटी
Corporate Data Warehousesबड़े डेटा का संग्रहण और विश्लेषण के लिए रिपॉजिटरी
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