Site icon Gyanodhan

Unit 7:Computer Network

🌐 1. डेटा संप्रेषण (Data Communication) और कंप्यूटर नेटवर्क का परिचय

डेटा संप्रेषण का अर्थ है दो डिवाइसेज़ (जैसे कंप्यूटर, मोबाइल) के बीच डेटा का आदान-प्रदान किसी माध्यम (केबल या वायरलेस) के द्वारा।
कंप्यूटर नेटवर्क एक ऐसा सिस्टम होता है जिसमें कई कंप्यूटर और डिवाइसेज़ आपस में जुड़े होते हैं ताकि वे जानकारी और संसाधनों (जैसे प्रिंटर, इंटरनेट) को साझा कर सकें।


🔗 2. नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topologies)

नेटवर्क में कंप्यूटर और अन्य डिवाइसेज़ कैसे जुड़े हैं, इसे टोपोलॉजी कहा जाता है।

  1. बस (Bus) – सभी डिवाइस एक ही मुख्य केबल से जुड़े होते हैं।
  2. स्टार (Star) – सभी डिवाइस एक सेंट्रल डिवाइस (हब/स्विच) से जुड़े होते हैं।
  3. रिंग (Ring) – सभी डिवाइस एक रिंग (वृत्त) में जुड़े होते हैं।
  4. मेश (Mesh) – हर डिवाइस, हर दूसरी डिवाइस से जुड़ी होती है।
  5. ट्री (Tree) – स्टार और बस का मिश्रण।
  6. हाइब्रिड (Hybrid) – दो या अधिक टोपोलॉजी का संयोजन।

🌍 3. कंप्यूटर नेटवर्क का वर्गीकरण (Classification of Computer Networks)

  1. PAN (पर्सनल एरिया नेटवर्क) – जैसे ब्लूटूथ, हेडफोन।
  2. LAN (लोकल एरिया नेटवर्क) – एक कार्यालय या स्कूल के अंदर।
  3. MAN (मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क) – एक शहर के अंदर।
  4. WAN (वाइड एरिया नेटवर्क) – देश या पूरी दुनिया में फैला हुआ (जैसे इंटरनेट)।
  5. CAN (कैंपस एरिया नेटवर्क) – कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैंपस के लिए।

🔁 4. पैरेलल और सीरियल ट्रांसमिशन


🔄 5. ट्रांसमिशन मॉडल्स (Transmission Models)

  1. सिंप्लेक्स (Simplex) – डेटा केवल एक दिशा में जाता है (जैसे टीवी)।
  2. हाफ डुप्लेक्स (Half-Duplex) – दोनों दिशाओं में डेटा जा सकता है, लेकिन एक समय में एक ही दिशा में (जैसे वॉकी-टॉकी)।
  3. फुल डुप्लेक्स (Full-Duplex) – डेटा दोनों दिशाओं में एक साथ जा सकता है (जैसे मोबाइल कॉल)।

📡 6. ट्रांसमिशन चैनल (Transmission Channel)

डेटा भेजने का माध्यम:


🚀 7. डेटा रेट, बैंडविड्थ और सिग्नल


🔏 8. एन्कोडिंग स्कीम्स (Encoding Schemes)

डिजिटल डेटा को ट्रांसमिट करने के लिए सिग्नल में कैसे बदला जाता है:


🗜️ 9. डेटा संपीड़न (Data Compression)

डेटा के आकार को छोटा करने की प्रक्रिया:


⚠️ 10. ट्रांसमिशन की गड़बड़ियाँ (Transmission Impairments)

डेटा ट्रांसमिशन के दौरान आने वाली परेशानियाँ:


🧱 11. लेयरिंग और डिज़ाइन समस्याएँ

नेटवर्क को अलग-अलग स्तरों (layers) में बांटने से डिज़ाइन और समस्या सुलझाना आसान होता है।
मुख्य डिज़ाइन समस्याएँ:


📘 12. OSI मॉडल (7 लेयर वाला मॉडल)

यह एक थ्योरी पर आधारित मॉडल है जिसमें नेटवर्क कम्युनिकेशन को 7 लेयर में बाँटा गया है:

  1. फिजिकल लेयर – तारें, सिग्नल, बिट ट्रांसफर
  2. डेटा लिंक लेयर – फ्रेमिंग, MAC एड्रेस, एरर डिटेक्शन
  3. नेटवर्क लेयर – IP एड्रेस, रूटिंग
  4. ट्रांसपोर्ट लेयर – TCP/UDP के माध्यम से डेटा ट्रांसफर
  5. सेशन लेयर – सेशन को शुरू, मेंटेन और बंद करना
  6. प्रेजेंटेशन लेयर – डेटा ट्रांसलेशन, एन्क्रिप्शन
  7. एप्लिकेशन लेयर – यूज़र से डायरेक्ट इंटरफेस (जैसे ब्राउज़र, ईमेल)

🌐 13. TCP/IP मॉडल (4 लेयर वाला मॉडल)

यह इंटरनेट में इस्तेमाल किया जाने वाला प्रैक्टिकल मॉडल है:

  1. एप्लिकेशन लेयर – HTTP, FTP, SMTP
  2. ट्रांसपोर्ट लेयर – TCP/UDP
  3. इंटरनेट लेयर – IP, रूटिंग
  4. नेटवर्क एक्सेस लेयर – MAC एड्रेस, फिजिकल ट्रांसमिशन

🧱 Data Link Layer (डेटा लिंक लेयर)

OSI मॉडल की दूसरी लेयर होती है – डेटा लिंक लेयर। इसका मुख्य काम है:


1. Need for Data Link Control (डेटा लिंक नियंत्रण की आवश्यकता)

डेटा लिंक कंट्रोल जरूरी होता है ताकि:

इसलिए हम Flow Control और Error Control तकनीकों का उपयोग करते हैं।


🧱 2. Frame Design Considerations (फ्रेम डिज़ाइन के मापदंड)

डेटा को फ्रेम्स में बांटने के लिए हमें कुछ बातें ध्यान में रखनी पड़ती हैं:


🔄 3. Flow Control (फ्लो कंट्रोल)

Flow Control का उद्देश्य है कि:

प्रमुख तकनीकें:

  1. Stop-and-Wait Protocol – एक बार में एक फ्रेम भेजो, और acknowledgment का इंतजार करो
  2. Sliding Window Protocol – कई फ्रेम्स एक साथ भेजे जा सकते हैं, acknowledgment बाद में आता है

🧪 4. Error Control (त्रुटि नियंत्रण)

Error Control यह सुनिश्चित करता है कि:

तकनीकें:


📶 MAC Sublayer (मैक सबलेयर)

MAC का मतलब है Media Access Control। यह डेटा लिंक लेयर का एक हिस्सा है जो यह तय करता है कि कौन-सा डिवाइस कब मीडिया (केबल/चैनल) का उपयोग करेगा।

दो मुख्य प्रकार हैं:


⚔️ 5. Contention-Based MAC Protocols (प्रतिस्पर्धा आधारित)

इसमें सभी डिवाइसेज़ एक साथ डेटा भेजने की कोशिश करती हैं। जो पहले भेज देता है, वही सफल होता है।

उदाहरण:

  1. ALOHA
    • Pure ALOHA
    • Slotted ALOHA
  2. CSMA (Carrier Sense Multiple Access)
    • CSMA/CD (Collision Detection – Ethernet)
    • CSMA/CA (Collision Avoidance – Wi-Fi)

👉 ये प्रो토कॉल टकराव (collision) को हैंडल करते हैं।


🧭 6. Polling-Based MAC Protocols (पोलिंग आधारित)

इसमें एक सेंट्रल डिवाइस होता है (जैसे master), जो अन्य डिवाइसेज़ को पूछता है (poll करता है) कि क्या वे डेटा भेजना चाहती हैं।

प्रकार:

  1. Polling – एक-एक करके पूछता है
  2. Token Passing – एक “टोकन” घूमता रहता है; जिसके पास टोकन है वही ट्रांसमिट कर सकता है

👉 ये तरीका ज्यादा नियंत्रित और कम टकराव वाला होता है।


📌 संक्षेप में:

विषयविवरण
डेटा लिंक कंट्रोलडेटा की विश्वसनीयता और अनुशासन बनाए रखता है
फ्रेम डिज़ाइनडेटा पैकेजिंग का तरीका
फ्लो कंट्रोलसेंडर और रिसीवर की गति में संतुलन
एरर कंट्रोलडेटा में हुई गलतियों को पहचानना और सुधारना
MAC सबलेयरतय करता है कि मीडिया का उपयोग कब और कौन करेगा
प्रतिस्पर्धात्मक MACडिवाइसेज़ खुद तय करती हैं कब भेजना है
पोलिंग आधारित MACएक नियंत्रक डिवाइस अनुमति देता है भेजने के लिए

🌐 Network Layer (नेटवर्क लेयर)

OSI मॉडल की तीसरी लेयर होती है – Network Layer
इसका मुख्य कार्य है:


🚦 1. Routing (रूटिंग)

Routing का अर्थ है – सही रास्ता चुनकर डेटा पैकेट को गंतव्य (destination) तक पहुँचाना।

रूटिंग टेबल का उपयोग किया जाता है जिसमें यह जानकारी होती है:

रूटिंग के प्रकार:

  1. Static Routing – मैन्युअली सेट किया जाता है
  2. Dynamic Routing – ऑटोमैटिकली अपडेट होता है (e.g. RIP, OSPF, BGP)

⚠️ 2. Congestion Control (भीड़ नियंत्रण)

जब नेटवर्क में बहुत ज्यादा ट्रैफिक हो जाता है और डेटा धीमा या खो जाता है, उसे Congestion (भीड़) कहते हैं।

नियंत्रण के तरीके:


🔗 3. Internetworking Principles (इंटरनेटवर्किंग सिद्धांत)

Internetworking का मतलब है अलग-अलग प्रकार के नेटवर्क को आपस में जोड़ना ताकि वे आपस में डेटा एक्सचेंज कर सकें।

उदाहरण: LAN ↔ WAN ↔ Internet

इसे संभव बनाते हैं:


📡 4. Internet Protocols (IPv4)

🌍 IPv4 (Internet Protocol version 4)

IPv4 सबसे पुराना और सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला इंटरनेट प्रोटोकॉल है।


📦 Packet Format (IPv4 पैकेट फॉर्मेट)

IPv4 पैकेट का मुख्य ढांचा:

FieldDetails
VersionIP का वर्जन (4)
Header Lengthहेडर की लंबाई
Type of ServicePacket की priority
Total Lengthपूरा पैकेट का साइज
Identification, Flags, Fragment OffsetFragmentation के लिए
TTL (Time to Live)पैकेट कितनी दूर तक जा सकता है
ProtocolTCP या UDP
Header ChecksumError checking
Source Addressभेजने वाले की IP
Destination Addressपाने वाले की IP
Options + PaddingExtra जानकारी (optional)
DataActual डेटा

🏛 Hierarchical Addressing (स्तरीय IP एड्रेसिंग)

IPv4 एड्रेसिंग एक हाइरार्किकल सिस्टम है जिसमें:


🧮 Subnetting (सबनेटिंग)

Subnetting का मतलब है – एक बड़े नेटवर्क को छोटे-छोटे हिस्सों (subnets) में बाँटना।

उदाहरण:

IP: 192.168.1.0/24 → दो Subnet बनाना हो
तो new subnet mask: /25
Result:


🌐 ARP (Address Resolution Protocol)

ARP का काम होता है – किसी IP Address को उसके MAC Address में बदलना

उदाहरण:
किसी IP (192.168.1.5) का MAC जानने के लिए ARP Request भेजा जाता है।


🔌 PPP (Point to Point Protocol)

PPP का उपयोग दो नेटवर्क डिवाइस (जैसे मॉडेम और राउटर) के बीच डायरेक्ट लिंक स्थापित करने के लिए किया जाता है।

फ़ीचर्स:


🔧 5. Bridges और Routers

🌉 Bridges (ब्रिजेस)

📡 Routers (राउटर्स)


🆔 6. Classless IP Addressing (CIDR – Classless Inter-Domain Routing)

पुरानी IP Class System (Class A, B, C) को हटा कर अब IP को CIDR Notation में इस्तेमाल किया जाता है।

उदाहरण:

CIDR से:


📚 संक्षेप में सारांश

टॉपिकमुख्य कार्य
Routingडेटा के लिए सबसे अच्छा रास्ता चुनना
Congestion Controlनेटवर्क ट्रैफिक को संतुलित करना
Internetworkingअलग-अलग नेटवर्क को जोड़ना
IPv4इंटरनेट पर डेटा भेजने का तरीका
Packet Formatपैकेट के अंदर का ढांचा
Subnettingबड़े नेटवर्क को छोटे हिस्सों में बाँटना
ARPIP से MAC Address पता करना
PPPदो डिवाइसों के बीच लिंक बनाना
Bridgesदो LAN को जोड़ना
Routersकई नेटवर्क को जोड़ना और रूटिंग करना
CIDRClass के बिना IP ऐड्रेसिंग करना

📶 Data Link Layer और Process-to-Process Communication

हालांकि Process-to-Process Communication मुख्य रूप से Transport Layer का कार्य होता है, लेकिन इसे समझना जरूरी है क्योंकि यह पूरे नेटवर्क संप्रेषण प्रक्रिया से जुड़ा है।


🧑‍💻 1. Process-to-Process Communication (प्रोसेस से प्रोसेस संचार)

🔁 यह संचार end-to-end communication कहलाता है और इसके लिए port numbers का उपयोग होता है।


🔌 2. Socket (सॉकेट) और Socket Address

📍 Socket क्या है?

Socket एक प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (API) है जो दो प्रोसेस को नेटवर्क पर एक-दूसरे से डाटा भेजने और प्राप्त करने की अनुमति देता है।

एक तरह से यह communication का interface होता है OS और application के बीच।

🏷️ Socket Address क्या होता है?

Socket Address = IP Address + Port Number

उदाहरण:

तो Socket Address होगा: 192.168.1.10:80

👉 यह uniquely identify करता है कि किस कंप्यूटर की कौन सी एप्लिकेशन से communication हो रहा है।


🔁 3. Multiplexing (मल्टीप्लेक्सिंग)

Multiplexing का मतलब होता है – एक माध्यम से अनेक प्रोसेसेज़ या एप्लिकेशन को डेटा ट्रांसफर की अनुमति देना।

🔼 Upward Multiplexing

🔽 Downward Multiplexing


📦 4. UDP (User Datagram Protocol)

📌 विशेषताएँ:


📦 5. TPDU (Transport Protocol Data Unit)

📍TPDU = Header (Transport Layer Info) + Payload (Actual Data)

उदाहरण:
TCP TPDU → TCP Header + App Data
UDP TPDU → UDP Header + App Data


📚 संक्षेप में सारांश

टॉपिकविवरण
Process-to-Process Communicationदो एप्लिकेशन प्रोसेस के बीच डेटा ट्रांसफर
Socketनेटवर्क संचार का प्रोग्रामिंग इंटरफेस
Socket AddressIP + Port (e.g., 192.168.1.1:80)
Upward Multiplexingएक ट्रांसपोर्ट चैनल → कई एप्लिकेशन
Downward Multiplexingएक एप्लिकेशन → कई ट्रांसपोर्ट चैनल
UDPFast, unreliable protocol without connection
TPDUTransport Layer का डेटा यूनिट

🌐 Application Layer (एप्लिकेशन लेयर)

OSI मॉडल की 7वीं लेयर होती है — Application Layer
यह यूज़र और नेटवर्क के बीच सीधा इंटरफेस प्रदान करती है।
Application Layer वे सर्विसेस देती है जो नेटवर्क पर कम्युनिकेशन के लिए एप्लिकेशन्स को चाहिए होती हैं।


💡 Application Layer के प्रमुख प्रोटोकॉल्स:


1. 🌍 HTTP (Hypertext Transfer Protocol)

📌 विशेषताएँ:

📎 उदाहरण:
जब आप कोई वेबसाइट खोलते हैं — जैसे https://www.google.com — तो ब्राउज़र HTTP/HTTPS के ज़रिए उस साइट से कनेक्ट करता है।


2. 📂 FTP (File Transfer Protocol)

📌 विशेषताएँ:

📎 उदाहरण:
आप वेबसाइट फाइल्स को सर्वर पर अपलोड करना चाहते हैं — इसके लिए आप FTP Client (जैसे FileZilla) का उपयोग करते हैं।


3. 💻 Telnet (Telecommunication Network)

📌 विशेषताएँ:

📎 उदाहरण:
किसी रिमोट सर्वर को कंट्रोल करने के लिए, पहले Telnet से लॉग-इन किया जाता था।


4. ✉️ SMTP (Simple Mail Transfer Protocol)

📌 विशेषताएँ:

📎 उदाहरण:
जब आप Gmail से किसी को ईमेल भेजते हैं, तो पीछे SMTP प्रोटोकॉल काम कर रहा होता है।


5. 📡 SNMP (Simple Network Management Protocol)

📌 विशेषताएँ:

📎 उदाहरण:
किसी कंपनी के नेटवर्क में SNMP का उपयोग करके देखा जाता है कि कौन-सा डिवाइस ऑन है, कितना डेटा चल रहा है, आदि।


📚 संक्षेप में सारांश:

प्रोटोकॉलकार्यपोर्ट नंबरप्रयोग
HTTPवेब पेज ट्रांसफर80ब्राउज़र में वेबसाइट खोलना
FTPफाइल ट्रांसफर21 (control), 20 (data)फाइल भेजना/डाउनलोड करना
Telnetरिमोट लॉगिन23दूर के सिस्टम को कमांड लाइन से कंट्रोल करना
SMTPईमेल भेजना25 / 587मेल सर्वर से मेल भेजना
SNMPनेटवर्क मॉनिटरिंग161 / 162राउटर, स्विच की जानकारी लेना

🔚 निष्कर्ष:

Application Layer वे सभी नेटवर्क आधारित सेवाएं प्रदान करती है जिनसे यूज़र सीधे इंटरैक्ट करता है — जैसे वेब ब्राउज़िंग, ईमेल भेजना, फाइल ट्रांसफर करना, नेटवर्क मैनेज करना आदि।

Exit mobile version